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लेखनी कहानी -10-Aug-2022


 "अनु, कहां हो तुम?" मानव ने घर के अंदर दाखिल होते हुए आवाज लगाई। सामने से कोई प्रतिउत्तर ना पाकर मानव ने ऊपर जा कर बैडरूम का दरवाजा खोला तो देखा कि अनुष्का (अनु) नम आंखों से अलमारी में कुछ देख रही थी। 


"क्या बात है अनु? तुम इस तरह उदास सी क्यूं लग रही हो?" मानव ने अधीर हो कर पूछा।


"कुछ नहीं बस ऐसे ही।" अनु ने कहा और जाने लगी तो मानव ने उसे रोक लिया और उसकी आंखों में देखा।


यह क्या अनु? तुम रो रही थी। किसी ने कुछ कहा क्या तुम से। मानव ने क्रोध में आकर पूछा।



पता नहीं मानव! मुझे क्या हुआ है? मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा कि यह क्या और क्यों हो रहा है और इस सब में मेरी ग़लती क्या है।" अनु मानव की आंखों की कशिश देख कर सच कहने से खुद को रोक नहीं पाई। 


"अनु, इस सब में तुम्हारी कोई ग़लती नहीं है। यह बस किस्मत का खेल है और कुछ नहीं। जो कुछ भी अतीत में हुआ था वो बस एक हादसा था लेकिन जब तक तुम खुद इस से बाहर नहीं आती तब तक मैं चाह कर भी कुछ सहायता नहीं कर सकता।" मानव ने बहुत प्यार से अनु के आंसू पोंछते हुए कहा।


"आज भी मुझे बार बार वो दिन याद आ जाता है जब मेरी एक लापरवाही की वजह से हमारी दुनिया ही बदल गई थी। ना सिर्फ मैंने हमारे बच्चे को खो दिया था बल्कि तुम्हारी छोटी बहन निक्की भी हमें हमेशा हमेशा के लिए छोड़ कर चली गई थी। उस डाक्टर ने यह भी कहा था कि मेरे दोबारा मां बनने के चांसिस कम हैं।" अनु ने रोते हुए कहा।


"देखो अनु, जो होना था हो चुका उसे हम चाह कर भी नहीं बदल सकते लेकिन आगे जिंदगी में कुछ अनिष्ट नहीं हो। इसके लिए तो कोशिश कर सकते हैं और रही  डॉक्टर की बात तो उसने कम चांस कहा था लेकिन नहीं हो सकता, ऐसा भी नहीं कहा था।" मानव ने प्यार से समझाते हुए कहा और अनु को गले लगा लिया ताकि उसकी गिल्ट कम हो जाए। अनु ने भी अपनी बाजूओं की पकड़ मजबूत कर ली।


# दैनिक प्रतियोगिता हेतु

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8 Comments

Devraj Sanyal

12-Aug-2022 12:25 PM

Very Nice

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Reena yadav

11-Aug-2022 04:41 PM

बेहद खूबसूरत 👌👌🙃

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Madhumita

11-Aug-2022 04:39 PM

बहुत खूब

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